Friday, July 23, 2010

मिस्ड कॉल

भैया अपनी लाइफ भी कुछ ऐसे ही है। कभी कनेक्शन पूरा लगा ही नहीं। एक राह पे चले तो दूसरी ज्यादा सुहावनी लगने लगी। तो फिर क्या था, कदम हमेशा वापिस ही मुड़े हमारे और दूसरी राह पे चल दिए। दो कदम अभी चले ही थे कि लगने लगा शायद, पहले वाला रास्ता ही ठीक था, कुछ देर चले तो होते उस पर। हमेशा एक अच्छी और मुकम्मल मंजिल कि तलाश में किसी राह पे पूरा चले ही नहीं। कभी किसी एक राह पे चलकर उसे पूरा और परफेक्ट बनाने कि कोशिश ही नहीं की। हमें तो चाहिए था एक रेडीमेड सोलुशन और वो भी बिलकुल परफेक्ट। तो यूं कहें कि मोबाइल फ़ोन कि भाषा में हमने कोई भी कॉल मिला कर कनेक्ट होने से पहले ही काट दी और अपनी पूरी लाइफ बन कर रह गयी है एक मिस्ड कॉल।

3 comments:

  1. nishana kahan hai?waise kuch kuch samajh rahi hoon .

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  2. No not directed anywhere, but general observation of my life!!!!!!!!

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  3. o bhai kyon aisi nirasha? meri paas bahut ASHA hai , share karega ?

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