10-06-2020 एक मन की चाह जब पूरी हुई मैंने भारी भरकम बुलट टाईप मोटरसाईकिल खरीदी। मन से भाव जैसे भी निकले लिख दिये
कर्तव्य बोध में बँधा यह जीवन
क्षण भर को ना मिला स्वयं से,
आज अचानक फू़टा यह अंकुर
स्वप्न अवतरित हुआ कर्म से।
बन्धन अब सब छूट रहे हैं,
भ्रम सारे अब टूट रहे हैं,
पाने को वो क्षण हूँ अब आतुर
क्षण जो कालखण्ड में छूट गये हैं।
नयी सुबह है, है नव दिवस अब
मिलने को ही है बस मुझसे
वह बिखरे सपने, वह छूटे पग अब।
No comments:
Post a Comment